Arthritis: जाने क्यों होता है ज्वाइंट पेन ? जाने इस रोग से बचने के उपाय
Arthritis: आज के समय में बढ़ती उम्र के साथ ज्वाइंट पेन होना आम बात है, अगर यह लम्बे समय तक रहे तो एक लाइलाज रोग का भी रूप ले सकता है, आइये जानते है इस परेशानी से कैसे बचना है, तो हर हाल में इसके कारणों का पता होना चाहिए. जानिये पूरी ख़बर विस्तार से...

Old Coins Bazaar, Haryana News: आर्थराइटिस, जिससे आम तौर पर जोड़ों का दर्द या गठिया कहते हैं, एक ओल्ड एज डिजीज माना जाता है, खासकर ठंड बढ़ने पर इस परेशानी और भी ज्यादा इजाफा हो जाता है. हालांकि मौजूदा दौर में कई यंग एज के लोग भी ज्वाइंट पेन के शिकार हो रहे हैं. जिस उम्र को अक्सर सेहतमंद कैटेगरी में रखा जाता है उसमें आखिर क्यों इतने लोग आर्थराइटिस के शिकार हो रहे हैं. आइए हम इसकी जड़ में जाने की कोशिश करते हैं और एक्सपर्ट से इसे दूर करने के उपाय जानते हैं.
युवाओं को क्यों शिकार बना रहा है आर्थराइटिस?
मैक्स स्मार्ट सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, साकेत, दिल्ली के सीनियर डायरेक्टर (ऑर्थोपेडिक्स) एंड हेड ज्वाइंट रिकंस्ट्रक्शन (हिप एंड नी) यूनिट, डॉ. रमणीक महाजन (Dr. Ramneek Mahajan) के मुताबिक, "गठिया की बीमारी किसी उम्र को नहीं देखती, हालांकि युवा वर्ग के लोग ज्यादातर रूमेटाइड आर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis) से पीड़ित हैं, फिर भी ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis) की मौजूदगी को कम करके नहीं आंका जाना चाहिए. हैरानी की बात ये है कि काफी बच्चे और युवा ऑस्टियोआर्थराइटिस से जूझ रहे हैं, जिससे ये गलत धारणा टूट गई है कि ये जोड़ों की बीमारी सिर्फ बुजुर्गों पर हमला करती है."
ये कारण हैं जिम्मेदार
डॉ. रमणीक के मुताबिक युवाओं में कई कारण गठिया रोग के लिए जिम्मेदार हैं, जैसे- मोटापा, गतिहीन जीवन शैली, खराब पोश्चर, हाई इम्पैक्ट स्पोर्ट्स में हिस्सेदारी, जोड़ों की चोटें, जेनेटिक कारण, जन्मजात स्थितियां और खास मेडिकल डिसऑर्डर. जोड़ों में दर्द के कई लक्षण सामने आ सकते हैं, मसलन जोड़ों में कोमलता, कम गति और कठोरता जैसे लक्षण बचपन में भी सामने आ सकते हैं.
कैसे दूर करें ये परेशानी?
डॉ. रमणीक ने कहा, "गठिया से तभी छुटकारा पाया जा सकता है, जब आप अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव करें, जिसमें लो इम्पैक्ट एक्सरसाइज शामिल है. इसके लिए कई एडवांस ट्रीटमेंट भी मौजूद हैं, जैसे हाइलूरोनिक इंजेक्शन (hyaluronic injections) और प्लेटलेट-रिच प्लाज्मा (platelet-rich plasma) जिसे पीआरपी (PRP) भी कहा जाता है. गंभीर स्थिति में कई तरह की सर्जरी का सहारा लिया जा सकता है जिनमें आर्थ्रोस्कोपी (arthroscopy) या ज्वाइंट रिप्लेसमेंट (joint replacement) आखिरी उपाय माना जाता है. अगर युवाओं में इस बीमारी को जल्दी डाइगनोज कर लिया जाए तो भविष्य में होने वाले बुरे प्रभाव से छुटकारा पाया जा सकता है."
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मक़सद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.