क्या AI हो सकता है ख़तरनाक, अब रखेंगें AI पर नजर ये देश
Bletchley Declaration : आज दुनिया भर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस AI का इस्तेमाल तेज़ी से हो रहा है. इसके फायदे के साथ साथ कई नुकसान भी सामने आ रहे है, जिस से निपटने के लिए दुनिया के कई देश एकजुट हुए है. जाने पूरी अपडेट विस्तार से...

Old Coins Bazaar, Delhi news: क्या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) मानव सभ्यता के अस्तित्व को वाकई खतरे में डाल सकता है? ये सवाल इसलिए क्योंकि ब्रिटेन (UK) में आयोजित दुनिया के पहले वैश्विक AI सुरक्षा शिखर सम्मेलन में दिग्गज हस्तियों ने महामंथन किया. जहां AI की संहारक क्षमता से मानवता को बचाने के लिए बड़े फैसले लिए गए हैं. AI को लेकर सुरक्षा शिखर सम्मेलन के पहले दिन 28 देशों और यूरोपियन यूनियन ने बैलेचले घोषणापत्र (Bletchley Declaration) पर दस्तखत किए.
'अगली पीढ़ी और मानवता को बचाना है': ऋषि सुनक
घोषणापत्र के मुताबिक इससे जुड़ा कोई टेस्ट सेंटर ब्रिटेन में नहीं होगा. सभी देश AI सिक्योरिटी रिसर्च पर एक साथ काम करने के लिए सहमत हुए. इस बहुत तखास आयोजन में अमेरिका (US) और ब्रिटेन (UK) नए नियमों को विकसित करने में अग्रणी बनने के लिए कंपटीशन करते नजर आए. इस समिट को संबोधित करते हुए ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक ने कहा, 'हमारे बच्चों और पोते-पोतियों के भविष्य के लिए AI जैसी तकनीकी प्रगति से अधिक परिवर्तनकारी कुछ भी नहीं होगा. इसके साथ ही हम सभी पर ये सुनिश्चित करने की भी जिम्मेदारी है कि AI सुरक्षित और जिम्मेदार तरीके से विकसित हो, और इस प्रॉसेस में इससे पैदा होने वाले खतरों को पहले से पहचान लिया जाए.'
हथियारों की होड़ में नहीं माने क्या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर मानेंगे?
किसी बड़े खतरे को लेकर वैश्विक एकजुटता दिखाने के लिए बुलाए गए इस दुर्लभ आयोजन में ब्रिटिश सरकार के मंत्रियों के साथ अमेरिकी वाणिज्य सचिव जीना रायमोंडो और चीनी विज्ञान और टेक मिनिस्टर वू झाओहुई भी मंच पर शामिल हुईं. इस समिट के प्रभारी ब्रिटिश अधिकारियों में से एक, मैट क्लिफोर्ड ने रायमोंडो और वू की एक साथ उपस्थिति को एक बड़ी कामयाबी और उल्लेखनीय पल बताया.
चीनी प्रतिनिधि ने घोषणा पर हस्ताक्षर करते हुए वू ने अपने साथी प्रतिनिधियों से कहा, 'हम समावेशी आर्थिक विकास, सतत विकास और नवाचार को बढ़ावा देने, मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता की रक्षा करने और जनता के विश्वास को बढ़ावा देने के लिए एआई पर सहयोग करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के अब तक के प्रयासों का स्वागत करते हैं. AI सिस्टम पर हम अपनी पूरी ताकत से काम करेंगे. हम पारस्परिक सम्मान, समानता और पारस्परिक लाभ के सिद्धांतों को कायम रखेंगे. क्योंकि आकार और पैमाने की परवाह किए बिना सभी देशों को AI विकसित करने और उपयोग करने का समान अधिकार है.
यहां कुछ सवाल भी उठते हैं. जैसे तकनीक को लेकर दुनिया के कई देशों के बीच होड़ मची है. चीन और अमेरिका के अलावा चीन की यूरोपीय देशों से प्रतिद्वंदिता भी किसी से छिपी नहीं है. इसी तरह से अमेरिका और रूस की अदावत भी जग जाहिर है. यानी दुनिया कई धड़ों में बंटी है. एटम बम हो या केमिकल वेपंस या जैविक हथियार इस समिट में शामिल हुए अधिकांश बड़े देश विनाशकारी हथियार बनाने की होड़ में विनाशलीला रच रहे हैं. सच्चाई चाहे जो भी हो लेकिन कोरोना वायरस को भी चीन का बॉयो वेपन कहा गया था. ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि क्या वाकई ये देश आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को पूरी मानवता के लिए खतरा मानते हुए एक मंच पर आकर जो कुछ कह रहे हैं, वो उस पर खरे उतरेंगे?
टेक जाइंट्स की राय
इस समिट में टेक इंडस्ट्री के दिग्गजों ने भी शिरकत की. इस दौरान टेस्ला के CEO और 'X के मालिक एलन मस्क ने कहा, 'AI मानव सभ्यता के अस्तित्व को खतरे में डाल सकता है. हालांकि इस बात की संभावना ना के बराबर है कि AI हम सभी को मार डालेगा. मुझे लगता है कि यह धीमा चल रहा है, कुछ मौके भी हैं. लेकिन, यह मानव सभ्यता की नाजुकता से भी जुड़ा है. अगर आप इतिहास का अध्ययन करेंगे तो आपको पता चलेगा कि हर सभ्यता का एक तरह का जीवनकाल होता है.' इसी तरह सोशल मीडिया कंपनी के प्रमुख निक क्लेग ने कहा, 'AI से जुड़ी मौजूदा समस्याओं के समाधान के लिए जितना जरूरी हो, उतना समय निवेश करते हुए इस दिशा में काम किया जाएगा. AI जनित कंटेट की पारदर्शिता और उसकी क्षमता पर काम करेंगें.'