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Doller To INR : रुपए की गिरी कीमत, जाने क्या असर पड़ेगा मिडिल क्लास पर

Doller To INR : रुपये में आयी भयंकर गिरावट, गिरावट का असर पड़ेगा बच्चों की पढ़ाई तक, जानिए क्या होगा सरकार का अगला कदम ...
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रुपए की गिरी कीमत, जाने क्या असर पड़ेगा मिडिल क्लास पर 

Old Coin Bazaar, New Delhi- जहां एक ओर भारत सरकार रुपये का अंतर्राष्ट्रीयकरण (internationalization) करने में जुटा हुआ है. डॉलर को भाव ना देकर अपने करीबी देशों के साथ रुपये में ट्रेडिंग करने का एग्रीमेंट (agreement) कर रहा है. वहीं दूसरी ओर डॉलर के सामने इंटरनेशनल मार्केट में गिरावट के दौर से गुजर रहा है. गुरुवार को इंटरस्टेट फॉरेन एक्सचेंज मार्केट (exchange market) में डॉलर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड लो लेवल पर बंद हुआ.

आंकड़ों पर बात करें तो रुपये में आज दो पैसे की गिरावट देखने को मिली और 83.10 प्रति डॉलर के अपने लाइफ टाइम लो पर बंद हो गया. रुपये में गिरावट के दो प्रमुख कारण जो सामने आए वो इंटरनेशनल मार्केट (INTERNATIONAL MARKET) में डॉलर की मजबूत स्थिमि और डॉमेस्टिक मार्केट में नेगेटिव सेंटीमेंट है.

कुछ ऐसे देखने को मिले आंकड़ें-
फॉरेन करेंसी कारोबारियों ने बताया कि ग्लोबल मार्केट में रिस्क से बचने और अमेरिकी डॉलर में बढ़ोतरी का असर रुपये के सेंटीमेंट पर देखने को मिला है. इंटरस्टेट फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में रुपया 83.10 पर खुला. दिन में कारोबार के दौरान यह 82.99 के हाई और 83.16 के लोअर लेवल को छूने के बाद अंत में अपने पिछले बंद भाव से दो पैसे टूटकर 83.10 प्रति डॉलर (अस्थायी) पर बंद हुआ. पिछले कारोबारी सत्र में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 26 पैसे की गिरावट के साथ 83.08 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था.

कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट-
इंटरस्टेट फॉरेन एक्सचेंज मार्केट मंगलवार को स्वतंत्रता दिवस और बुधवार को पारसी नववर्ष के अवसर बंद था. इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर इंडेक्स 0.05 फीसदी बढ़कर 103.48 पर पहुंच गया. क्रूड वायदा 0.52 फीसदी कम होकर 83.88 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर कारोबार कर रहा था. वहीं बीएसई सेंसेक्स बृहस्पतिवार को 388.40 अंक की गिरावट के साथ 65,151.02 और एनएसई निफ्टी 99.75 अंक के नुकसान के साथ 19,365.25 अंक पर बंद हुआ.

कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस महंगी हो जाएगी-
भारतीय रुपये के 83.10 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचने का मतलब कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की कीमतों पर भारी असर होगा. भारत की लगभग 80 फीसदी कच्चे तेल की जरूरतें इंपोर्ट से पूरी होती हैं, कमजोर करेंसी का असर आम आदमी पर पड़ने की संभावना है क्योंकि फ्यूल की कॉस्टिंग में इजाफा हो सकता है. इसके अलावा, वैश्विक मंदी की आशंकाओं के साथ, प्रभाव और भी खराब होने की संभावना है.

ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट में होता है इजाफा-
कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा होने की वजह से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में तेजी देखने को मिल सकती है और ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट में वृद्धि देखने को मिल सकती है. जिसका असर देश विभिन्न हिस्सों पहुंचने वाले सामान की कीमतों में देखने को मिल सकता है. जिससे सब्जियों और फलों की कीमतों में तेजी, विशेष सामान की कीमतों में इजाफा देखने को मिल सकता है.

विदेशी शिक्षा की लागत बढ़ेगी-
भारतीय रुपये की कीमत में गिरावट का सीधा असर विदेश में पढ़ रहे छात्रों और उनके पेरेंट्स पर भी पड़ता है. जानकारों की मानें तो फॉरेन एजुकेशन की फीस का भुगतान डॉलर में किया जाता है, इसलिए रुपये में गिरावट से फॉरेन एजुकेशन प्राप्त करने वाले छात्रों पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा. इसका मतलब यह भी होगा कि माता-पिता और/या छात्रों को समान डॉलर की राशि का भुगतान करने के लिए अधिक रुपये खर्च करने होंगे. साथ ही इसका असर विदेश यात्राओं पर भी पड़ सकता है, जो महंगी हो जाएंगी.