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IAS-IPS : इस गांव में जवान से लेकर बूढ़े तक संभाल रहे है अफसर की कुर्सी

आप लोगों ने बहुत से गावों के बारे में सुना और देखा होगा। आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बता रहे है जहां पर जवान से लेकर बूढ़े तक के लोग सरकारी अफसर की कुर्सी संभाल रहे हैं। इस गांव में हर एक घर में  IAS/PCS अधिकारी हैं। गांव में सिर्फ बेटे और बेटिॉां ही नहीं यहां कि बहूएं भी IAS/PCS इधिकारी है। आइये जानते है इस गांव के बारे में...
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इस गांव में जवान से लेकर बूढ़े तक संभाल रहे है अफसर की कुर्सी

Old Coin Bazaar, Digital Desk, यूपी  जौनपुर से 5 किमी दूर बसा माधोपट्टी गांव देश को बेहतरीन IAS/PCS अफसर देने के लिए मशहूर है।

इसी गांव में वैसे तो कुल 75 घर हैं, लेकिन यहां से निकले अधिकारियों की संख्या 50 से ज्यादा है। इस गांव के सिर्फ बेटे-बेटियां ही नहीं, बहुएं भी अफसर की पोस्ट संभाल रही हैं। 

 - माधोपट्टी निवासी सजल सिंह ने इस गांव से जुड़े अफसरों के इतिहास के बारे में बताया। उनके मुताबिक सबसे पहले शायर रहे वामिक जौनपुर के पिता मुस्तफा हुसैन साल 1914 में पहले सरकारी अफसर बने थे।

उनके बाद 1952 में इन्दू प्रकाश सिंह आईएएस बने। वे फ्रांस सहित कई देशों में भारत के राजदूत रहे। इंदू प्रकाश के बाद से यहां IAS/PCS अफसर बनने का सिलसिला शुरू हो गया।

- सजल ने बताया, "1955 में आईएएस की परीक्षा में 13वीं रैंक प्राप्त करने वाले विनय कुमार सिंह बिहार के मुख्य सचिव पद तक पहुंचे।

1964 में उनके दो सगे भाई छत्रपाल सिंह और अजय कुमार सिंह एक साथ आईएएस अधिकारी बने। छत्रपाल तमिलनाड़ू के प्रमुख सचिव रहे। यूपी के पूर्व नगर विकास सचिव रहे सूर्य प्रकाश सिंह भी हमारे गांव से हैं।" 

ये है प्रेजेंट स्टेटस

- सजल सिंह के मुताबिक प्रेजेंट में इस गांव से ताल्लुक रखने वाले 49 लोग IAS/PCS हैं। उन्होंने कुछ के नाम बताते हुए कहा, "हम 7 भाई हैं।

1952 में मेरे बड़े भाई इंदु प्रकाश सिंह ने सिविल सर्विसेज एंट्रेंस एग्जाम में सेकंड रैंक हासिल की थी। उनके बाद उनके दोनों बेटे अमिताभ सिंह और जन्मेजय सिंह तथा बहू सरिता व कल्पना भी IAS बनीं।"

- प्रेजेंट में इनकी फैमिली से ताल्लुक रखने वाले प्रवीण सिंह सरकार के एकाउंटेबिलिटी प्रोजेक्ट से जुड़े हुए हैं। उनकी पत्नी मधुलिका सिंह पीसीएस हैं और यूपी सरकार में फाइनेंस एंड अकाउंट्स डिपार्टमेंट में अधिकारी हैं। 

- इसी फैमिली के विकास विक्रम सिंह यूपी के ग्रेटर नोएडा में कमर्शियल टैक्स असिस्टेंट कमिश्नर हैं। 

- इस फैमिली की बहू शिवानी सिंह यूपी में डिप्टी कलेक्टर हैं। इसी परिवार के देवेंद्र सिंह यूपी में डिस्ट्रिक्ट एग्रिकल्चर ऑफिसर हैं।

हर घर में ग्रैजुएट:
 - सजल सिंह बताते हैं, "हमारे गांव में एजुकेशन लेवल बहुत ही अच्छा है। यहां हर घर में एक से अधिक लोग ग्रैजुएट हैं। महिलाएं भी पीछे नहीं हैं।

हमारे गांव का एवरेज लिट्रेसी रेट 95 परसेंट है, जबकि ओवरऑल यूपी का लिट्रेसी रेट 67.61 परसेंट है।"