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OPS : कर्मचारी पुरानी पेंशन को लेकर 10 अगस्त को दिखाएंगे 10 करोड़ का दम

पुरानी पेंशन के मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी अब एकजुट हो गए हैं। साठ से अधिक संगठनों ने ज्वाइंट फोरम फॉर रिस्टोरेशन ऑफ ओल्ड पेंशन स्कीम के बैनर तले एक बड़ी घोषणा कर दी है। कर्मचारियों को 'एनपीएस' में कोई सुधार नहीं चाहिए। उन्हें केवल 'पुरानी पेंशन' ही चाहिए।
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Old Coins Bazaar, New Delhi : पुरानी पेंशन के मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी अब एकजुट हो गए हैं। साठ से अधिक संगठनों ने ज्वाइंट फोरम फॉर रिस्टोरेशन ऑफ ओल्ड पेंशन स्कीम (जेएफआरओपीएस) के बैनर तले एक बड़ी घोषणा कर दी है। कर्मचारियों को 'एनपीएस' में कोई सुधार नहीं चाहिए। उन्हें केवल 'पुरानी पेंशन' ही चाहिए।

जेएफआरओपीएस के सदस्यों के मुताबिक 2024 के आम चुनाव में सरकारी कर्मचारियों, पेंशनरों, उनके परिजनों व रिश्तेदारों की भूमिका बहुत अहम होने जा रही है। केंद्र सरकार और भाजपा को यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि कर्मियों, पेंशनरों व उनके रिश्तेदारों को मिलाकर यह संख्या दस करोड़ से ज्यादा है।

जेएफआरओपीएस के संयोजक शिव गोपाल मिश्रा ने कहा है कि 10 अगस्त को नई दिल्ली में संसद के सामने विशाल रैली आयोजित होगी। देश के विभिन्न हिस्सों से लाखों कर्मी संसद के बाहर पहुंचेंगे। कर्मचारियों ने कभी भी एनपीएस में सुधार की मांग नहीं की है। कर्मियों की एक ही मांग है कि ओपीएस को हर सूरत में बहाल कराना है।

कमेटी में पुरानी पेंशन का जिक्र तक नहीं है-

जेएफआरओपीएस द्वारा जोरदार तरीके से '10 अगस्त' के प्रदर्शन की तैयारी की जा रही है। विभिन्न राज्यों में कर्मचारी संगठन, जिला स्तर पर ओपीएस को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। जेएफआरओपीएस के सदस्य और एआईडीईएफ के महासचिव सी. श्रीकुमार ने साफ कर दिया है कि सरकारी कर्मचारी की सेवानिवृत्ति के बाद 'एनपीएस' एक आपदा है। एनपीएस से रिटायर हुए कर्मचारी को महज चार-पांच हजार रुपये पेंशन मिलेगी। वित्त मंत्रालय द्वारा गठित कमेटी में केंद्रीय कर्मियों का नुमाइंदा तक नहीं है। इतना ही नहीं, कमेटी में पुरानी पेंशन का जिक्र ही नहीं है।

उसमें केवल एनपीएस के अंतर्गत पेंशन की बात की गई है। बता दें कि 24 मार्च को संसद सत्र के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकारी कर्मचारियों के 'पेंशन सिस्टम' की समीक्षा के लिए एक समिति गठित करने की घोषणा की थी। छह अप्रैल को समिति का गठन कर दिया गया।

वित्त सचिव टीवी सोमनाथन की अध्यक्षता में कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के सचिव, व्यय विभाग के विशेष सचिव एवं पेंशन फंड नियामक विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) के अध्यक्ष, इस कमेटी के सदस्य बनाए गए हैं। यह समिति इस बात को लेकर सुझाव देगी कि सरकारी कर्मचारियों पर लागू एनपीएस के मौजूदा ढांचे में किसी तरह का कोई बदलाव जरूरी है या नहीं। समिति जो भी सुझाव देगी, उसमें राजकोषीय निहितार्थों और समग्र बजटीय प्रभाव को ध्यान में रखा जाएगा।

ओपीएस पर दिया सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला-

कर्मचारी नेताओं के मुताबिक, भारत के सर्वोच्च न्यायालय की पांच सदस्यीय पीठ, जिसमें मुख्य न्यायाधीश बीडी चंद्रचूड, जस्टिस बीडी तुलजापुरकर, जस्टिस ओ. चिन्नप्पा रेड्डी एवं जस्टिस बहारुल इस्लाम शामिल थे, के द्वारा भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के अंतर्गत रिट पिटीशन संख्या 5939 से 5941, जिसको डीएस नाकरा एवं अन्य बनाम भारत गणराज्य के नाम से जाना जाता है, में दिनांक 17 दिसंबर 1981 को दिए गए प्रसिद्ध निर्णय का उल्लेख करना आवश्यक है। इसके पैरा 31 में कहा गया है, चर्चा से तीन बातें सामने आती हैं।

एक, पेंशन न तो एक इनाम है और न ही अनुग्रह की बात है जो कि नियोक्ता की इच्छा पर निर्भर हो। यह 1972 के नियमों के अधीन, एक निहित अधिकार है, जो प्रकृति में वैधानिक है, क्योंकि उन्हें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 148 के खंड '50' का प्रयोग करते हुए अधिनियमित किया गया है।

पेंशन, अनुग्रह राशि का भुगतान नहीं है, बल्कि यह पूर्व सेवा के लिए भुगतान है। यह उन लोगों के लिए सामाजिक, आर्थिक न्याय प्रदान करने वाला एक सामाजिक कल्याणकारी उपाय है, जिन्होंने अपने जीवन के सुनहरे दिनों में, नियोक्ता के इस आश्वासन पर लगातार कड़ी मेहनत की है कि उनके बुढ़ापे में उन्हें ठोकरें खाने के लिए नहीं छोड़ दिया जाएगा।

कमेटी के अध्यक्ष को सौंपे ज्ञापन की खास बातें-

कर्मचारी संगठन के प्रतिनिधियों ने वित्त मंत्रालय की कमेटी के समक्ष अपनी मांगों के समर्थन में तमाम तर्क पेश किए थे। कमेटी को बता दिया गया कि एनपीएस को हर सूरत में समाप्त करना होगा। इसके स्थान पर परिभाषित एवं गारंटीशुदा पुरानी पेंशन योजना को बहाल करना पड़ेगा। पहली जनवरी 2004 को या उसके बाद भर्ती हुए कर्मचारियों पर लागू राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली को वापस लेने ही एकमात्र विकल्प है।

सरकार, ऐसे सभी कर्मियों को, जो जनवरी 2004 के बाद भर्ती हुए हैं, उन्हें सीसीएस (पेंशन) नियम 1972 के तहत पुरानी पेंशन योजना के दायरे में लाया जाए। एनपीएस में कोई भी सुधार कर्मचारियों के लिए किसी काम का नहीं होगा। केंद्र सरकार के कर्मचारियों ने यह मांग कभी नहीं की थी। एनपीएस में शामिल कर्मचारियों को जीपीएफ योजना का लाभ दिया जाए। केंद्र सरकार, जीपीएफ खाते में रिटर्न के साथ संचित कर्मचारी योगदान जमा कराए।

ढाई दिन के सांसद को मिल रही फुल पेंशन- 

'कॉन्फेडरेशन ऑफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स मार्टियर्स वेलफेयर एसोसिएशन' के महासचिव रणबीर सिंह ने कहा, केंद्र एवं राज्य सरकारें पैरामिलिट्री फोर्स के परिवारों के साथ सौतेला व्यवहार कर रहे हैं। न तो जवानों को पुरानी पेंशन दी जा रही और न ही अर्धसैनिक कल्याण बोर्ड गठित किए गए हैं। यहां तक कि अर्ध सेना झंडा दिवस कोष का गठन करने से भी सरकार ने मना कर दिया। एक्स मैन व शहीद का दर्जा, ये मांगें भी अधूरी पड़ी हैं।

हजारों पैरामिलिट्री परिवारों से अपील की गई है कि वे 10 अगस्त को नई दिल्ली में होने वाले संसद घेराव के मौके पर उपस्थित रहें। में शांति पुर्ण भागीदारी निभाएं। पूर्व एडीजी एचआर सिंह ने रोष व्यक्त करते हुए कहा, ढाई दिन के सांसद को फुल पेंशन और जो 40 साल देश सेवा करें, उन पैरामिलिट्री जवानों की पेंशन बंद कर दी गई। इस साल चार राज्यों में होने वाले विधानसभा व 2024 के आम चुनावों में वोट उसी पार्टी को मिलेगा, जो पैरामिलिट्री जवानों की पेंशन लागू करेगा।