Property Document : मकान खरीदने के लिए जरूरी है ये डॉक्यूमेंट, जानिए

Old Coins Bazaar, Digital Desk UP मकान या प्रॉपर्टी खरीदना हर किसी के लिए बेहद खास होता है. इसमें न सिर्फ बड़ी पूंजी लगती है, बल्कि समय भी ज्यादा लगता है. प्रॉपर्टी की डील सिर्फ पैसों से ही नहीं होती,
बल्कि इसमें कई पेचीदगियां भी होती है. यही कारण है कि सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा भी प्रॉपर्टी के कामकाज में होता है. किसी प्रॉपर्टी को खरीदने और बेचने के इतने दस्तावेज होते और प्रोसेस होते हैं कि आम आदमी को इसे समझ पाना ही मुश्किल होता है. ऐसे ही दस्तावेजों में एक होता है नॉन एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट.
प्रॉपर्टी एक्सपर्ट प्रदीप मिश्रा का कहना है कि किसी संपत्ति को खरीदने के लिए जितना जरूरी रजिस्ट्री पेपर और म्यूटेशन के डॉक्यूमेंट होते हैं, उतना ही महत्वपूर्ण नॉन एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट भी होता है.
खासकर दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों के लिए यह और भी जरूरी है. इन शहरों में ज्यादातर फ्लैट या मकान बिल्डर से खरीदे जाते हैं.
और आपकी पहले से कोई जान पहचान भी नहीं होती. ऐसे में यह और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है कि आप बिल्डर से उस प्रॉपर्टी का नॉन एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट प्राप्त करें.
क्यों जरूरी है यह सर्टिफिकेट
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि नॉन एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट में एक खास अवधि के दौरान किसी संपत्ति से जुड़े सभी लेनदेन की जानकारी होती है.
अमूमन एक नॉन एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट में किसी संपत्ति से जुड़ी 12 साल के लेनदेन की जानकारियां होती हैं. इसमें संपत्ति का पूरा इतिहास होता है.
मसलन उसे किसने खरीदा, किसने बेचा, कितना मूल्य रहा और क्या उस पर कोई लोन वगैरह तो नहीं चल रहा है. ऐसे में अगर आप प्रॉपर्टी खरीदने से पहले लोन लेना चाहते हैं या खरीदने के बाद उस प्रॉपर्टी पर लोन लेना चाहते हैं.
तो बैंक आपसे नॉन एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट मांग सकता है. इसके अलावा आप भविष्य में इस प्रॉपर्टी को बेचना चाहते हैं तो भी आपको यह सर्टिफिकेट बहुत काम आएगा.
कहां से मिलेगा सर्टिफिकेट
नॉन एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट को पाने के लिए आपको तहसीलदार दफ्तर में जाकर एक फॉर्म भरना पड़ेगा. इस फॉर्म पर दो रुपये का एक नॉन जुडिशियल टिकट भी लगता है.
फॉर्म के साथ सर्टिफिकेट लेने का कारण, एड्रेस प्रूफ की अटेस्टेड कॉपी भी लगानी होगी. फॉर्म में सर्वे नंबर, लोकेाशन के साथ संपत्ति से जुड़े अन्य विवरण भी होने चाहिए.
अप्लीकेशन पूरी तरह तैयार करने के बाद सब-रजिस्ट्रार दफ्तर में जमा कराना होगा. इसके 20 से 30 दिन के भीतर आपको सर्टिफिकेट मिल जाएगा.