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इन बैंको से EMI और Loan लेना नहीं होगा आसान, RBI ने निकली नई गाइडलाइन

RBI Update: सामान खरीदना और EMI पर लोन लेना होगा मुश्किल, इन बैंकों की गाइडलाइंस में हुए कुछ अहम बदलाव, जिससे लोगों को हो सकती है मुश्किल, इस खबर में पढ़ें पूरी जानकारी
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इन बैंको से EMI और Loan लेना नहीं होगा आसान, RBI ने निकली नई गाइडलाइन (1)

Old Coins Bazaar, New Delhi: आरबीआई (RBI) ने कहा कि ब्याज दरों के कारण ईएमआई/अवधि या दोनों में अगर कुछ बदलाव होता है, तो इसकी जानकारी उचित चैनलों के माध्यम से तुरंत दी जाएगी. इस कदम से होम लोन, ऑटो लोन या फ्लोटिंग रेट बेस्ड पर्सनल लोन लेने वालों पर असर पड़ने की संभावना है.

आरबीआई (RBI) गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक जल्द ही एक फ्रेमवर्क तैयार करेगा, जो लोन लेने वालों को फ्लोटिंग ब्याज दरों से फिक्स्ड ब्याज दरों में ट्रांसफर होने की अनुमति देगा. आरबीआई के इस कदम का उद्देश्य पर्सनल लोन लेने वाले व्यक्तियों को राहत प्रदान करना है जो उच्च ब्याज दरों के बोझ से जूझ रहे हैं.

क्या है नई गाइडलाइन

आरबीआई (RBI) का कहना है कि वित्तीय संस्थानों को पॉलिसी में यह बात साफ तौर पर बतानी होगी कि फ्लोटिंग से फिक्स्ड रेट की तरफ स्विच करने के दौरान क्या और कितना चार्ज लगेगा. ब्याज दरों के रीसेट के समय संस्थान लोन लेने वालों को उनकी बोर्ड-अप्रूव्ड पॉलिसी के अनुसार एक निश्चित दर पर स्विच करने का विकल्प प्रदान करेगा.

पॉलिसी में यह बात भी साफ तौर पर दर्ज होनी चाहिए कि किसी भी ग्राहक को लोन की अवधि के दौरान कितनी बार ‘स्विच’ करने की इजाजत होगी. उन्हें ग्राहकों को ब्याज दरें बढ़ने पर अपनी सुविधा के अनुसार EMI बढ़ाने, लोन की अवधि में इजाफा करने या इन दोनों के किसी कॉम्बिनेशन को अपनाने का विकल्प भी देना होगा.

इसके अलावा उन्हें लोन की पूरी अवधि के दौरान किसी भी समय पूरा कर्ज एक साथ चुकाने या उसके किसी एक हिस्से का प्री-पेमेंट करने का ऑप्शन भी दिया जाना चाहिए. फौजदारी शुल्क (Foreclosure charges) या प्री-पेमेंट पेनल्टी लगाना मौजूदा निर्देशों के अधीन होगा.

वित्तीय संस्थानों को उचित चैनलों के माध्यम से लोन लोन वालों के साथ हर एक तिमाही के अंत में एक स्टेटमेंट शेयर करनी होगी, जिसमें अब तक वसूल किए गए मूलधन (Principal) और ब्याज, ईएमआई राशि, शेष ईएमआई की संख्या और वार्षिक दर/वार्षिक प्रतिशत दर (APR) की जानकारी होगी. संस्थानों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि यह आसान हो ताकि लोन लेने वाले को आसानी से समझ में जाए.

आरबीआई ने वित्तीय संस्थानों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि ये निर्देश मौजूदा और साथ ही नए लोन्स पर 31 दिसंबर, 2023 तक लागू किए जाएं. सभी मौजूदा उधारकर्ताओं को उचित चैनलों के माध्यम से एक जानकारी भेजी जाएगी, जिसमें उनके लिए उपलब्ध विकल्पों की जानकारी होगी.

फ्लोटिंग और फिक्स्ड रेट लोन में अंतर

फ्लोटिंग ब्याज दर : फ्लोटिंग ब्याज दर अस्थिर है, जो बाजार में होने वाली उठापटक के अनुसार बदलती रहती है. इस प्रकार की ब्याज दर लेंडर्स की तरफ से दी जाने वाली आधार दर पर निर्भर करती है, इसलिए जब भी आधार दर बदलती है, ब्याज दर ऑटोमॅटिकली संशोधित हो जाती है. हाल ही में इसका उदाहरण देखा गया था. पिछले एक साल के दौरान आरबीआई ने जब-जब रेपो दर बढ़ाई तब-तब बैंकों की तरफ से होम या पर्सनल लोन की ब्याज दरों में बढ़ोतरी की.

फिक्स्ड ब्याज दर : जो लोग फिक्स्ड ब्याज दर का विकल्प चुनते हैं, उन्हें लोनअवधि के अनुसार निश्चित और समान किस्तों में होम लोन चुकाना होता है. फिक्स्ड ब्याज दर का फायदा यह है कि भारतीय वित्तीय बाजार की स्थितियों या रुझानों में उतार-चढ़ाव या बदलाव होने पर भी यह नहीं बदलेगी.