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Side Effects Of Bottle Feeding: क्या बच्चे के दूध की बोतल से हो सकता है संक्रमण का ख़तरा, जानें पूरा सच

Side Effects Of Bottle Feeding: आज के समय में हम सभी नवजात से लेकर 2 साल तक के  बच्चे को बोतल से दूध पिलाते है, पर क्या यह सुरक्षित है, यह हम नही जानते। आइये जानते है पूरा सच...
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Side Effects Of Bottle Feeding: क्या बच्चे के दूध की बोतल से हो सकता है संक्रमण का ख़तरा, जानें पूरा सच

Old Coins Bazaar, Haryana News:  कुछ साल पहले ऑस्ट्रेलिया की संसद में सांसद लारीसा वाटर्स ने अपनी दो महीने की बेटी को स्तनपान कराया था। इस ख़बर ने दुनिया भर में सुर्खियां बटोरी थीं।

लंबे अरसे से हम यह सुनते आ रहे हैं कि मां का दूध बच्चे के लिए अमृत तुल्य है। इसे जन्म से लेकर छह महीने तक के बच्चों के लिए लिक्विड गोल्ड बताया जाता है।

यह साफ़ और सुरक्षित है। इसमें एंटीबॉडी होते हैं जो न केवल संक्रमण से बल्कि बचपन की कई आम बीमारियों से उनकी रक्षा करता है। ऐसा डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ़ और भारत सरकार के परिवार कल्याण मंत्रालय के दिशा-निर्देश में बताया गया है।

यह भी बताया जाता है कि बच्चे के जन्म के तुरंत बाद कुछ दिनों के लिए मां के दूध से एक ख़ास किस्म का प्रोटीन युक्त तत्व कोलोस्ट्रम बच्चे को मिलता है जो उनके लिए बहुत पौष्टिक होता है।

इसके बावजूद कुछ माएं अन्यान्य कारणों से स्तनपान कराने में समर्थ नहीं होतीं हैं।

बच्चे को जन्म देने के बाद मां कमज़ोरी से आसानी से उबर नहीं पाती। उसकी नींद पूरी नहीं होती जिससे तनाव बढ़ता है। इसके असर से दूध भी कम उतरता है।

एक स्टडी के अनुसार हर सात में से एक मां को तनाव और कमज़ोरी के चलते दूध कम उतरता है।

ऐसे में वो ब्रेस्ट मिल्क या फिर फ़ॉर्मूला मिल्क (डिटेल में पढ़ें) बोतल में रख कर अपने बच्चे को देती हैं।

कारण चाहे जो भी हो दूध पीते बच्चे को फ़ॉर्मूला मिल्क देने का चलन दुनिया भर में बढ़ रहा है। लेकिन क्या नवजात के दूध के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पानी को पर्याप्त गर्म किया जा रहा है?

हाल ही में आए एक शोध में यह चेतावनी दी गई कि फ़ॉर्मूला मिल्क तैयार करने वालीं 85 प्रतिशत मशीनें हानिकारक बैक्टीरिया को नहीं मार पाती हैं।

इस शोध में शामिल हुई एक मां यह जानकर स्तब्ध हैं कि जो मशीनें ख़ास तौर पर बच्चों के लिए बनाई गई थीं वो असफल हो गईं।

इस शोध से ये भी पता चलता है कि जो बच्चे फ़ॉर्मूला मिल्क पर पल रहे हैं उन्हें इस दूध के बैक्टीरिया की वजह से इन्फ़ेक्शन का जबरदस्त ख़तरा है।

स्वान्सी यूनिवर्सिटी के इस शोध में 69 पेरेंट्स ने पानी गर्म करने के लिए केतली का इस्तेमाल किया, इनमें से 22 प्रतिशत का पानी पर्याप्त रूप से गर्म नहीं हो सका।

इसमें शामिल एक पेरेंट जॉनी कूपर कहती हैं, "जब पहली बार मैंने अपने मशीन के पानी को टेस्ट किया तो इसका तापमान महज़ 52 सेंटीग्रेड था। इसे देखकर मैं अवाक रह गई क्योंकि मैं यह मान कर चल रही थी कि मशीन को मानक गाइडलाइन के अनुसार बनाया गया है और ख़ास तौर पर बच्चों के लिए डिजाइन किया गया है।"

बच्चों को इन्फ़ेक्शन न हो इसके लिए ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ सेवा का कहना है कि इन्स्टैंट फ़ॉर्मूला बनाने में बैक्टीरिया न हो इसके लिए पानी को कम से कम 70 डिग्री तक गर्म किया जाना चाहिए, फिर इसे ठंडा करके बच्चों के लिए इस्तेमाल करें।

जॉनी कूपर कहती हैं, "मैं माता-पिताओं को यह सलाह देती हूं कि वो मशीन उसमें गर्म पानी के तापमान को देख कर ही ख़रीदें।"

भारत में क्या है पारंपरिक तरीक़ा

भारत में भी फ़ॉर्मूला मिल्क का प्रचलन बढ़ रहा है। अमेजॉन, फ़्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर इसके कई प्रॉडक्ट्स देखने, खरीदने को मिल जाते हैं।

डॉ। प्रार्थना ओडिशा के महानदी कोलफ़ील्ड में एक शिशु रोग विशेषज्ञ हैं। वे कहती हैं कि भारत सरकार हो या डब्ल्यूएचओ सभी स्तनपान को तरजीह देने की सलाह देते हैं।

वे कहती हैं, "इसके बावजूद फ़ॉर्मूला मिल्क का प्रचलन बढ़ रहा है तो इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि जब शुरुआत में मां के शरीर में दूध कम बनता है तो वे फ़ॉर्मूला मिल्क को बच्चे के पेट भरने के विकल्प के रूप में अपनाती हैं।"

डॉ। प्रार्थना सलाह देती हैं, "चाहे फ़ॉर्मूला मिल्क के लिए हो या दूध के बोतल को साफ़ करना हो, दोनों ही मामले में पानी को अधिकतम तापमान पर गर्म करें और ठंडा होने पर इस्तेमाल करें। पारंपरिक तौर पर भारतीय घरों में ऐसा ही होता है।"

वे यह भी हिदायत देती हैं, "नवजात की किसी भी चीज़ को छूने से पहले अपने हाथ को अच्छी तरह से धोएं अन्यथा उससे भी बच्चे को संक्रमण का ख़तरा बढ़ जाता है।"

फ़ॉर्मूला मिल्क के लिए कितना होना चाहिए पानी का तापमान

वहीं स्वान्सी यूनिवर्सिटी के शोध का नेतृत्व करने वालीं डॉ। एमी ग्रांट कहती हैं, "फ़ॉर्मूला मिल्क के लिए पानी का तापमान कम से कम 70 डिग्री सेंटीग्रेड होना चाहिए। अगर कोई पेरेंट इसके तापमान को लेकर चिंतित हैं तो फ़ूड थर्मामीटर ख़रीद सकते हैं।"

डॉक्टर प्रार्थना कहती हैं कि भारत में बार-बार तापमान देखना एक पेरेंट के लिए संभव नहीं है लिहाजा पानी इस्तेमाल करने से पहले उसे गैस पर अधिकतम तापमान पर गर्म करें।

तरुलता एक 11 महीने के बच्चे की मां हैं। उनकी एक बेटी भी है, जो 10 साल की है और चौथी कक्षा में पढ़ती है।

वे कहती हैं, "मैंने अपने दोनों बच्चों को स्तनपान करवाया है। यकीन मानें तो इससे मां और बच्चा एक अटूट बंधन में बंध जाते हैं। 11 महीने पहले बच्चे के जन्म के बाद से आज तक मुझमें दूध पिलाने की ताक़त है तो मैं फ़ॉर्मूला मिल्क क्यों अपनाउं। मैं आज भी अपने बच्चे को दूध पिला रही हूं और वो स्वस्थ है, अच्छे से बढ़ रहा है।''

बच्चों के लिए कितना फायदेमंद है स्तनपान?

पुडुचेरी की रहने वालीं प्रतिभा अरुण कहती हैं, ''जब मेरी बेटी एक साल से ज़्यादा बड़ी हो गई तो कभी कभी मैं उसे बोतल में दूध दिया करती थी। तब मैं इस बात का ख़ास ख्याल रखती थी कि उस बोतल से जुड़ी सभी चीज़ों को कीटाणु रहित कैसे रखा जाए। इसके लिए मैं खौलते पानी का इस्तेमाल किया करती थी।''

तरुलता कहती हैं, "स्तनपान बच्चे का साथ ही मां के लिए भी फ़ायदेमंद है। मैंने भी तीन साल की उम्र तक अपनी मां का दूध पिया है।"

डब्ल्यूएचओ कहता है कि अगर ब्रेस्ट मिल्क उपलब्ध न हो तो फ़ॉर्मूला मिल्क विकल्प है लेकिन इसका चयन बच्चे की उम्र के अनुसार बहुत सावधानी से किया जाना चाहिए। साथ ही वो यह सलाह भी देता है कि अगर स्तनपान कराने में समस्या आ रही है तो किसी भी अन्य विकल्प को चुनने से पहले डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें।